Wednesday, March 24, 2010

दिल लगाने की सज़ा

रीत है कैसी ये ज़माने की, सज़ा मिलती है यहाँ दिल लगाने की, ना बैठाना किसी को दिल में इतना की, फिर दुआ मांगनी पड़े भुलाने की!!

Friday, March 19, 2010

कब्रिस्तान

ऐ कब्रिस्तान तेरी आग़ोश में इतना सन्नाटा क्यूँ है??? लोग तो अपनी जान दे कर तुझे आबाद करते हैं!