आरजू थी तेरे साथ जीने की ,
मुकदर ने जुदाई लीखी !!
गीला हम कीस्से करें ,
जींदगी ही कम्बक्थ बेवफा नीकली!!
Friday, July 18, 2008
हसरतें !!!!
हसरतें तो बहुत थी ,
ए जींदगी ,तेरे संग जीने की !!
पर मुकदर की तज्बीर देखीये,
हसरतों के संग हम तन्हा ही दफ्न हो गए !!
ए जींदगी ,तेरे संग जीने की !!
पर मुकदर की तज्बीर देखीये,
हसरतों के संग हम तन्हा ही दफ्न हो गए !!
Tuesday, July 1, 2008
जिन्दगी !!
रौशनी मुकम्मल थी और मंजिल का आइना भी था,
हसरत तो बहुत थी उसको पाने की , पर रास्तों का निसा न था!
हसरत तो बहुत थी उसको पाने की , पर रास्तों का निसा न था!
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